21 मई 2025 को अमेरिकी इंटेलिजेंस ने दावा किया कि इज़राइल-ईरान तनाव के दौरान इज़राइल ईरान के परमाणु संयंत्रों, विशेष रूप से फोर्डो और नतांज़, पर हमले की योजना बना रहा है। यह खबर तब आई जब ट्रम्प प्रशासन ईरान के साथ परमाणु समझौते के लिए कूटनीतिक वार्ता कर रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, इज़राइल की सैन्य तैयारियों में हवाई हमले और कमांडो ऑपरेशन शामिल हैं, जो ईरान के परमाणु हथियार बनाने की क्षमता को कुछ महीनों या एक साल से अधिक समय तक कमजोर कर सकते हैं। यह कदम मध्य पूर्व में व्यापक क्षेत्रीय युद्ध की आशंका को बढ़ाता है, जिसे अमेरिका टालने की कोशिश कर रहा है।
तनाव का पृष्ठभूमि
इज़राइल-ईरान तनाव का इतिहास दशकों पुराना है, जो 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद और तेज हो गया। इज़राइल ने हमास और हिजबुल्लाह जैसे ईरान समर्थित समूहों को निशाना बनाया, जिसके जवाब में ईरान ने 13 अप्रैल और 1 अक्टूबर 2024 को इज़राइल पर बैलिस्टिक मिसाइल हमले किए। इन हमलों के बाद इज़राइल ने 25 अक्टूबर 2024 को ईरान के हवाई रक्षा तंत्र और मिसाइल उत्पादन सुविधाओं को नष्ट कर दिया, जिससे ईरान की सैन्य क्षमता कमजोर हो गई।
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बार-बार कहा है कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना उनकी प्राथमिकता है। उन्होंने मांग की है कि कोई भी समझौता ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करे, जैसा कि 2003 में लीबिया में हुआ था। दूसरी ओर, ईरान का दावा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल नागरिक उद्देश्यों के लिए है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने मार्च 2025 तक बताया कि ईरान के पास 275 किलोग्राम 60% शुद्ध यूरेनियम है, जो हथियार-ग्रेड सामग्री में बदलने के लिए पर्याप्त है।

अमेरिकी इंटेलिजेंस का दावा: इज़राइल-ईरान तनाव
अमेरिकी अधिकारियों ने सीएनएन को बताया कि इज़राइल ने हाल के महीनों में सैन्य तैयारियां तेज कर दी हैं, जिनमें हवाई युद्धाभ्यास और हथियारों की आवाजाही शामिल है। ये तैयारियां ईरान के परमाणु ठिकानों, जैसे फोर्डो और नतांज़, पर हमले की संभावना को दर्शाती हैं। हालांकि, इज़राइल ने अभी अंतिम निर्णय नहीं लिया है, और अमेरिकी सरकार में इस बात पर गहरे मतभेद हैं कि क्या इज़राइल वास्तव में हमला करेगा।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इज़राइल के हमले के दो संभावित परिदृश्य हैं:
- स्टैंडऑफ हमला: इज़राइली विमान ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश किए बिना, हवाई-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलों (ALBMs) का उपयोग करेंगे।
- स्टैंड-इन हमला: इज़राइली जेट ईरानी हवाई क्षेत्र में प्रवेश कर BLU-109 बंकर-बस्टर बम गिराएंगे।
इन हमलों के लिए इज़राइल को अमेरिकी सहायता की आवश्यकता होगी, विशेष रूप से मिड-एयर रीफ्यूलिंग और बंकर-बस्टर बमों के लिए, क्योंकि ईरान के परमाणु ठिकाने गहरे भूमिगत हैं। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों का मानना है कि ऐसा हमला ईरान के परमाणु कार्यक्रम को केवल कुछ महीनों या हफ्तों के लिए ही रोक सकता है, और यह ईरान को हथियार-ग्रेड यूरेनियम संवर्धन की ओर प्रेरित कर सकता है।
ट्रम्प प्रशासन की कूटनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इज़राइल के हमले की योजना को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है और इसके बजाय ईरान के साथ कूटनीतिक समझौते पर जोर दिया है। ट्रम्प ने कहा कि वह “सत्यापित परमाणु शांति समझौते” को प्राथमिकता देते हैं, न कि सैन्य कार्रवाई को। मार्च 2025 में, ट्रम्प ने ईरान को एक पत्र भेजकर अप्रत्यक्ष वार्ता की पेशकश की, जिसे ईरान ने 28 मार्च को स्वीकार कर लिया।
हालांकि, इज़राइल के अधिकारियों का मानना है कि ट्रम्प प्रशासन का रुख बदल सकता है यदि वार्ता विफल हो जाती है। इज़राइल ने पहले भी 1981 में इराक और 2007 में सीरिया के परमाणु रिएक्टरों पर अकेले हमला किया था, जिससे यह संभावना बनी रहती है कि वह अमेरिकी समर्थन के बिना भी कार्रवाई कर सकता है।
ईरान की प्रतिक्रिया: इज़राइल-ईरान तनाव
ईरान के एक वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी ने रॉयटर्स को बताया कि तेहरान को इज़राइल की योजनाओं की जानकारी है और वह किसी भी हमले का “कठोर और अटल जवाब” देगा। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने कहा कि यूरेनियम संवर्धन “गैर-परक्राम्य” है, और IAEA के निदेशक राफेल मारियानो ग्रॉसी ने चेतावनी दी कि ईरान परमाणु हथियार से “दूर नहीं” है।
ईरान ने अक्टूबर 2024 में इज़राइल के हमले के बाद अपनी हवाई रक्षा प्रणालियों को फिर से बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके अलावा, ईरान ने रूस से उन्नत S-400 रक्षा प्रणाली प्राप्त करने की मांग की है, जो इज़राइल के F-35 स्टील्थ लड़ाकू विमानों का मुकाबला कर सकती है।

क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
इज़राइल का हमला मध्य पूर्व में व्यापक युद्ध को बढ़ावा दे सकता है। ईरान के पास अभी भी इज़राइल पर हमला करने के लिए सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों का बड़ा जखीरा है। इसके अलावा, ईरान समर्थित समूहों जैसे हिजबुल्लाह और हूती की कमजोरी के बावजूद, वे फिर से संगठित हो रहे हैं।
सऊदी अरब और कतर जैसे खाड़ी देश किसी भी हमले की निंदा कर सकते हैं, क्योंकि वे ईरान के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं। एक हमला ईरान में राजनीतिक अस्थिरता को बढ़ा सकता है, लेकिन यह शासन परिवर्तन की संभावना को कम ही करेगा, क्योंकि ईरानी जनता बाहरी हमले को राष्ट्रीय एकता के रूप में देख सकती है।
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इज़राइल-ईरान तनाव ने मध्य पूर्व में एक नाजुक स्थिति पैदा कर दी है। अमेरिकी इंटेलिजेंस के दावों ने इस संभावना को बढ़ा दिया है कि इज़राइल ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय युद्ध का खतरा बढ़ गया है। ट्रम्प प्रशासन की कूटनीतिक कोशिशों के बावजूद, इज़राइल का रुख आक्रामक बना हुआ है। IAEA और संयुक्त राष्ट्र ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है, लेकिन स्थिति अनिश्चित बनी हुई है।
