पाकिस्तान में चुनावी हिंसा 8 फरवरी 2024 को होने वाले आम चुनावों से ठीक एक दिन पहले, 7 फरवरी 2024 को बलूचिस्तान प्रांत में दो अलग-अलग बम विस्फोटों ने कम से कम 30 लोगों की जान ले ली और दर्जनों को घायल कर दिया। ये हमले पिशिन और किला सैफुल्लाह जिलों में स्वतंत्र उम्मीदवारों और एक धार्मिक पार्टी के चुनावी कार्यालयों को निशाना बनाकर किए गए। इस्लामिक स्टेट (IS) ने इन हमलों की जिम्मेदारी ली, जिसने पाकिस्तान में पहले से ही तनावपूर्ण चुनावी माहौल को और जटिल कर दिया। यह हिंसा उस समय हुई, जब देश में पहले से ही आतंकवादी हमलों की लहर चल रही थी, खासकर बलूचिस्तान में, जो अफगानिस्तान और ईरान की सीमा से सटा हुआ है।
हमलों का विवरण
पहला विस्फोट: पिशिन जिला
पहला विस्फोट पिशिन जिले में स्वतंत्र उम्मीदवार असफंदयार खान काकर के चुनावी कार्यालय के बाहर हुआ, जो प्रांतीय राजधानी क्वेटा से लगभग 45 मील दूर है। यह हमला एक मोटरसाइकिल पर लगाए गए इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) के माध्यम से किया गया, जिसमें कम से कम 18 लोग मारे गए और 30 से अधिक घायल हो गए। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हबीब उर रहमान ने बताया कि घायलों को नजदीकी खानजई अस्पताल ले जाया गया, जहां कई की हालत गंभीर थी। इस्लामिक स्टेट की क्षेत्रीय शाखा, ISIS-K, ने इस हमले की जिम्मेदारी ली।
दूसरा विस्फोट: किला सैफुल्लाह
लगभग एक घंटे बाद, दूसरा विस्फोट किला सैफुल्लाह में जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के एक कार्यालय के पास हुआ, जो अफगान सीमा के करीब है। इस हमले में 12 लोग मारे गए और 20 से अधिक घायल हुए। JUI-F एक रूढ़िवादी धार्मिक पार्टी है, जो पहले भी आतंकवादी हमलों का निशाना बन चुकी है। इस हमले की जिम्मेदारी किसी समूह ने नहीं ली। स्थानीय उपायुक्त यासिर बजई ने बताया कि चार घायलों की हालत नाजुक थी, और उन्हें क्वेटा के अस्पतालों में हेलीकॉप्टर से ले जाया गया।

सुरक्षा व्यवस्था और प्रतिक्रिया
पाकिस्तान में हाल के महीनों में आतंकवादी हमलों में वृद्धि के कारण, सरकार ने देश भर में लगभग 90,000 मतदान केंद्रों में से आधे को “संवेदनशील” या “अति संवेदनशील” घोषित किया था। इसके लिए हजारों पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया था। बलूचिस्तान के कार्यवाहक सूचना मंत्री जन अचकजई ने हमलों की निंदा करते हुए कहा, “हम आतंकवादियों को इस महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बाधित करने की अनुमति नहीं देंगे।” उन्होंने यह भी घोषणा की कि सुरक्षा चिंताओं के कारण संवेदनशील मतदान केंद्रों के आसपास इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी जाएंगी।
पाकिस्तान निर्वाचन आयोग ने बलूचिस्तान के मुख्य सचिव और पुलिस महानिरीक्षक से घटनाओं की तत्काल रिपोर्ट मांगी और हमलावरों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया। कार्यवाहक प्रधान मंत्री अनवर-उल-हक काकर ने भी इन हमलों की निंदा की और जांच के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट का आदेश दिया।
बलूचिस्तान में हिंसा का इतिहास
बलूचिस्तान, जो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध लेकिन आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है, लंबे समय से अलगाववादी आंदोलनों और आतंकवादी गतिविधियों का गढ़ रहा है। बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) और पाकिस्तानी तालिबान (TTP) जैसे समूहों ने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में कई हमले किए हैं। BLA ने 30 जनवरी 2024 को एक मतदान प्रशिक्षण कार्यालय पर हमला किया था और लोगों से चुनावों का बहिष्कार करने का आह्वान किया था।
पिछले दो हफ्तों में, बलूचिस्तान में 15 से अधिक हमलों में 103 नागरिक हताहत हुए, जिनमें 35 की मौत हुई। इनमें से कई हमले कार बम, मोटरसाइकिल पर लगे IED, और ग्रेनेड हमलों के रूप में थे। 2023 में, बलूचिस्तान में विस्फोटक हिंसा से 870 नागरिक हताहत हुए, जिनमें 249 की मौत हुई, जो 2018 के बाद का सबसे घातक वर्ष था।
व्यापक संदर्भ
ये हमले उस समय हुए, जब पाकिस्तान आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहा था। पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान, जिनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) ने पिछले चुनाव में जीत हासिल की थी, को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में डाल दिया गया है। उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न को भी निर्वाचन आयोग ने रद्द कर दिया, जिसके कारण PTI उम्मीदवारों को स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना पड़ रहा है। दूसरी ओर, नवाज शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (PML-N) को सैन्य समर्थन प्राप्त होने का दावा किया जा रहा है।
चुनावी हिंसा और इंटरनेट निलंबन ने मानवाधिकार संगठनों की चिंता बढ़ा दी है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इंटरनेट निलंबन को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण सभा के अधिकार पर “स्पष्ट हमला” बताया। संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने भी हिंसा और इंटरनेट निलंबन पर चिंता व्यक्त की, और सभी पक्षों से मानवाधिकारों और कानून के शासन का सम्मान करने की अपील की।

संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने 14 फरवरी 2024 को इन हमलों की निंदा की और कहा कि ऐसी आतंकवादी हिंसा मानवाधिकारों, विशेष रूप से जीवन के अधिकार और स्वतंत्र चुनाव में मतदान के लोकतांत्रिक अधिकार को प्रभावित करती है। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से मांग की कि वह चुनाव के दौरान किसी भी गैरकानूनी हिंसा या मानवाधिकार उल्लंघन की जांच करे।
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निष्कर्ष
7 फरवरी 2024 को बलूचिस्तान में हुए दोहरे बम विस्फोटों ने पाकिस्तान के 12वें आम चुनावों से पहले सुरक्षा स्थिति की गंभीरता को उजागर किया। इस्लामिक स्टेट और अन्य आतंकवादी समूहों की सक्रियता, साथ ही बलूच अलगाववादियों की गतिविधियों ने क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा दिया। हालांकि सरकार ने सुरक्षा बढ़ाने के लिए कदम उठाए, लेकिन इन हमलों ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। पाकिस्तान के 128 मिलियन मतदाता 266 सीटों के लिए मतदान करने वाले थे, लेकिन हिंसा और इंटरनेट निलंबन ने चुनावी माहौल को प्रभावित किया।
