भारतीय क्रिकेट टीम में जब भी कोई नया सितारा चमकता है, तो उसके पीछे संघर्ष, कड़ी मेहनत और एक ख़ास पल होता है जो उसे ‘आम’ से ‘ख़ास’ बना देता है। युवा बल्लेबाज़ यशस्वी जायसवाल के करियर में वह ख़ास पल आ चुका है— भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका के बीच विशाखापत्तनम में खेले गए निर्णायक वनडे मैच में यशस्वी जायसवाल का पहला वनडे शतक।
यह सिर्फ़ 100 रन का आंकड़ा नहीं था; यह दबाव को कुचलने, आत्मविश्वास को स्थापित करने और यह घोषणा करने का तरीका था कि वह अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह पक्की करने के लिए तैयार हैं।
यह शतक सिर्फ़ स्कोरबोर्ड के लिए नहीं था, यह ‘डिक्लेरेशन’ था
भारतीय टीम एक ऐसी स्टेज पर थी जहाँ तीन मैचों की सीरीज़ 1-1 से बराबर थी। तीसरा मैच किसी वर्ल्ड कप फ़ाइनल से कम नहीं था। हारने वाली टीम को सीरीज़ गंवानी थी। ऐसे में, जब 271 रनों का एक बड़ा लक्ष्य सामने था, तो टीम को एक ऐसी पारी की ज़रूरत थी जो न केवल तेज़ हो, बल्कि मैच को ‘लॉक’ कर दे।
पिछले दो मैचों में जायसवाल का बल्ला शांत रहा था। ऐसे में, प्लेइंग इलेवन में जगह बनाए रखने का दबाव भी था। इन सभी दबावों के बीच, यशस्वी जायसवाल ने ऐसी पारी खेली जो सालों तक याद रखी जाएगी।
उन्होंने दिखाया कि उनके अंदर बड़े मैचों का खिलाड़ी (Big Match Player) बनने की क्षमता है। जब टीम को सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी, तब वह खड़े रहे और उन्होंने साबित कर दिया कि वह भारतीय क्रिकेट के लंबी रेस के घोड़े हैं।
पारी की शुरुआत: धैर्य और आक्रामकता का सही संतुलन
यशस्वी की पारी की सबसे ख़ास बात थी, उनका संतुलन।
a) कप्तान का साथ (The Partnership with Rohit)
जब रोहित शर्मा तेज़ गति से रन बना रहे थे, तब यशस्वी ने समझदारी दिखाई। उन्होंने रोहित को खुलकर खेलने का मौका दिया और खुद एक छोर पर संयम बनाए रखा। उन्होंने सिंगल-डबल पर ध्यान दिया, जिससे स्ट्राइक रोटेट होती रही और साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों को हावी होने का मौका नहीं मिला। यह एक परिपक्व बल्लेबाज़ की निशानी है।
b) दबाव में भी तेज़ी (Accelerating under Pressure)
रोहित के आउट होने के बाद सारा दबाव यशस्वी पर आ गया। अब उन्हें गियर बदलना था। उन्होंने बिना डरे, कुछ शानदार बाउंड्रीज़ लगाईं, जिससे टीम का रन रेट (Run Rate) कम नहीं हुआ। उन्होंने अपने पसंदीदा शॉट्स (ख़ासकर कवर्स और फ़ाइन लेग की दिशा में) का इस्तेमाल किया और विरोधी कप्तान को सोचने पर मजबूर कर दिया।
विराट कोहली की मेंटरशिप और मैच को ख़त्म करना
हर युवा खिलाड़ी को एक सीनियर की गाइडेंस की ज़रूरत होती है। जब विराट कोहली क्रीज़ पर आए, तो उन्होंने यशस्वी को वह ख़ास सपोर्ट दिया।
- विराट की छोटी-छोटी सलाह: यशस्वी ने मैच के बाद खुद बताया कि विराट कोहली उन्हें छोटे-छोटे लक्ष्य देते रहते थे (जैसे, ‘अब अगले 5 ओवर में इतना स्कोर करना है’ या ‘इस ओवर को संभलकर खेलना है’)।
- दबाव का बंटवारा: विराट के आने से यशस्वी पर से मैच जीतने का सीधा दबाव हट गया। वह अब खुलकर अपने खेल पर ध्यान केंद्रित कर सकते थे।
इन दोनों की साझेदारी ने सुनिश्चित किया कि मैच कहीं भी फंसे नहीं। यशस्वी ने अपना शतक पूरा किया और विराट के साथ मिलकर, टीम को 9 विकेट की धमाकेदार जीत तक ले गए। उनका नाबाद 116 रन बनाना (यानी, आउट न होना) उनकी एकाग्रता और मैच को फ़िनिश करने की ज़िम्मेदारी को दर्शाता है।
संघर्ष से सफलता तक: यशस्वी की यात्रा का प्रतीक

यशस्वी जायसवाल का सफ़र किसी प्रेरणादायक फ़िल्म की कहानी जैसा है। मुंबई में पानी-पूरी बेचकर क्रिकेट खेलने से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के लिए शतक जड़ने तक— यह उनकी अटूट लगन का प्रमाण है।
- यह शतक उस विश्वास का प्रतीक है जो कोचों और चयनकर्ताओं ने उनमें दिखाया।
- यह उनकी उस मानसिकता को दर्शाता है जो उन्हें टी20, टेस्ट और अब वनडे— तीनों फॉर्मेट में सफल होने के लिए प्रेरित करती है।
इस पारी ने यह साफ कर दिया है कि यशस्वी जायसवाल भारतीय क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में एक मजबूत स्तंभ बनने की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने न केवल भारत को सीरीज़ जिताई, बल्कि करोड़ों भारतीय फैंस के दिलों में अपनी जगह पक्की कर ली।
निष्कर्ष: एक नया सितारा आ गया है!
विशाखापत्तनम में, यशस्वी जायसवाल पहला वनडे शतक सिर्फ़ एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं थी, बल्कि टीम इंडिया की नई पीढ़ी के उदय की घोषणा थी। उन्होंने बता दिया कि वह अब ‘वादा’ नहीं, बल्कि ‘वर्तमान’ हैं। उनकी यह शतकीय पारी, दबाव में खेली गई, भविष्य में उन्हें और भी ऊंचाइयों पर ले जाएगी।
भारतीय क्रिकेट के इस नए स्टार को उनकी पहली वनडे सेंचुरी के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ!
